इश्क़ हे मुझे ..
इस नजरे बिगाड ने वाले जमाने मे ,
तुम्हारी उस मासूमियत भरी शरीफ
निगाहो से इश्क़ हे मुझे ।
तुम्हारा यु मुझे चिडाना और फिर
मुझे गुस्सा आऐ तब हसा कर मनाना इस
प्यारी सी आदत से इश्क़ हे मुझे ।
मेरी हर बात का उलटा जवाब देता
लेकीन गर कोई गलती से भी मेरे बारे
मे उलटा बोल दे तब आ रहे तुम्हारे उस
बेकाबु गुस्से से इश्क़ हे मुझे ।
जिसे देख के होश मे होके भी बेहोश सी
लगू तुम्हारी उस नसीली मुस्कान से
इश्क़ से भी बेहद इश्क़ हे मुझे ।